वो झरोखे जो कल तक रौशनी का इस्तेकबाल करते थे,
हवा ने उनको गर्द से भर दिया ,
जाने कैसे मौसम बदले,
अंगीठी की आंच ने मौसम सर्द कर दिया|
आज की बारिश ने चंद छीटें उड़ाई ,
पर जाने किसी किरण ने बादलो को सतरंगा कर दिया|
शम्मा जो कभी पिघल के न कर सकी ,
नींद भरी आँखों के ख़्वाबो ने रात को रोशन कर दिया |
हम हारते रहे इक जीत की उम्मीद में ताउम्र ,
वो जीत यूँ मुक्कमल रही कि, हर उम्मीद को ख़तम कर दिया |
this one is really nice....
ReplyDeleteLove this one, specially
ReplyDelete"पर जाने किसी किरण ने बादलो को सतरंगा कर दिया|
नींद भरी आँखों के ख़्वाबो ने रात को रोशन कर दिया"
Its so great to read you :)
Thanks Pavan,
ReplyDeleteThanks @ Neha..
I am glad u liked it..