बुड्डा पहाड़ ढोता है ।
भूत, वर्तमान, भविष्य का आधार ढोता है ,
पीढ़ियों के अस्तित्व का भर ढोता है ,
बुड्डा पहाड़ ढोता है ॥
नारकीय जीवन पर म्रत्यु का प्रहार ढोता है,
अगढ़ित से संस्कार, वस्तुतः संसार ढोता है ,
बुड्डा पहाड़ ढोता है ॥
समय का अत्याचार, समाज का तिरस्कार,
मृत अधिकार, अनंत कर्त्तव्य का साम्राज्य ढोता है ,
बुड्डा पहाड़ ढोता है ॥
तन पर लपेटे इक सूत, आठों प्रहर का हर आघात ,
धरती की गहराई और आकाश का विस्तार ढोता है ,
बुड्डा पहाड़ ढोता है ॥
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