Wednesday, May 5, 2010

अस्तित्व

एकांत वह, जिसमे स्वयं की आवाज गूँज जाये;
अभिमान वह, जो मान को आत्मसार कर ले;
अनुलोम वह; जो विलोम को विलीन कर दे,
शांति वह; जो विस्फोट को आत्मसात कर ले,
अनुरोध;वह जो हर विरोध को लुप्त करे,
आदि वह; जो अंत का ह्रास करे,

वह भान रहे ; जो ज्ञान बने,
वह प्रश्न रहे; जो समाधान बने,
वह अंधकार रहे; जो मेघ बने,
वह ज्वाला रहे; जहाँ सूर्य बने,
वह अस्तित्व मिले जहाँ नश्वरता का नाश रहे |