Tuesday, August 3, 2010

दस्तक

नाज़ुक सी निगाहों में अनजान फसाना है; दिल पे कोई दस्तक है यह ख्वाब पुराना है ,
हम ढूंढते जिसको है ; वो अफ्सानो का पुतला है ,
कभी ख्वाब हकीकत है ; कभी हकीकत इक फ़साना है ,
मसरूफ सी ज़िन्दगी का ; अधूरा सा यह बहाना है ,
फिर वक़्त की तंगी है ; फिर वक़्त बेगाना है |
नाज़ुक सी निगाहों में अनजान फसाना है; दिल पे कोई दस्तक है यह ख्वाब पुराना है ,
आज छोड़ के सब बंधन ; दिल से इक साज़ चुराना है ,
फिर रूह को आज अपनी इक ताल पे इतराना है ,
कुछ दर्द छुपाने है ; कुछ दर्द तराना है ,
यूँ राहे आशिकी की मंजिल तक जाना है |
नाज़ुक सी निगाहों में अनजान फसाना है; दिल पे कोई दस्तक है यह ख्वाब पुराना है |

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