Monday, February 8, 2010

कद

दिये को कद से नहीं हद से नापते है,
मकसद को वक़्त की सरहद से नापते है ,
जो खो गए मंजिलो की तलाश में,
उनके जूनून की शिद्दत को नापते है|

फर्क पड़ता नहीं चरागों की रौशनी से ,
हवा के रुख को लौ की झिलमिलाहट से जांचते है ,
रेत का यूँ उड़ना अखरता नहीं ,
आँख की तपिश को किरकिरी से जांचते है |

जो खो गए सपने ज़िन्दगी की कशमकश में,
यादों को अक्सर उम्मीद की गहराइयों से नापते है,
चाहतो का सिला कामयाबी हो ये ज़रूरी तो नहीं,
उल्फत को दिल्लगी की चादर से कब डांकते,
ज़िन्दगी अक्सर उनके कदम चूमती है ,
जो उचायिओं को गहराईयों से नापते है |

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